प्रश्न 1 –> क्या हमारी आंखें सभी वस्तुओं को देख सकते हैं ? उत्तर –> मानव आँख केवल एक निश्चित आकार से बड़ी वस्तुओं को ही देख सकती है। इसी कारण लंबे समय तक, हमारे आस-पास की कई छोटी-छोटी हमारे लिए चीज़ें अज्ञात रहीं।
Q. 1 – Can our eyes see everything?
Ans. – The human eye can only see objects larger than a certain size. That's why, for a long time, many small things around us remained unknown to us.
प्रश्न 2 –> लेंस क्या है और इसे यह नाम क्यों दिया गया ? लेंस की खोज से क्या-क्या चीज आविष्कृत हुई ?
उत्तर –> बहुत पहले, लोगों ने यह खोजा कि काँच का एक घुमावदार टुकड़ा छोटी चीज़ों को बड़ा दिखा सकता है। काँच का यह टुकड़ा मसूर के दाने के आकार का था - बीच में मोटा और किनारे पर पतला, इसलिए उन्होंने इसे लेंस कहा।
समय के साथ, लेंसों में सुधार हुआ। वे और अधिक शक्तिशाली बने। लेंसों से साधारण आवर्धक चश्मों, दूरदर्शी व सूक्ष्मदर्शी जैसे उपकरण का आविष्कार हुआ।
सूक्ष्मदर्शी ने इंसानों को वो देखने में मदद की जो उनकी आँखें नहीं देख पाती थीं। सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार ने छोटे-छोटे जीवों से भरी एक छिपी हुई आकर्षक दुनिया खोल दी।
Q. 2 –> What is a lens and why is it given that name? What inventions led to the discovery of the lens?
Ans. –> Long ago, people discovered that a curved piece of glass could make small objects appear larger. This piece of glass was about the size of a lentil—thick in the middle and thin at the edge—so they called it a lens.
Over time, lenses improved. They became more powerful. Lenses led to the invention of instruments like simple magnifying glasses, telescopes, and microscopes.
Microscopes allowed humans to see what their eyes could not. The invention of the microscope revealed a fascinating hidden world full of tiny creatures.
प्रश्न 3 –> आपने कुछ लोगों को पढ़ने का चश्मा इस्तेमाल करते देखा होगा। यह उन्हें बेहतर देखने में कैसे मदद करता है? या जब हम किसी चीज़ को देखने के लिए आवर्धक चश्मों का इस्तेमाल करते हैं तो क्या होता है?
उत्तर –> हमारी आँख का लेंस प्रकाश को मोड़कर रेटिना पर चित्र बनाता है। उम्र बढ़ने या दोष के कारण आँख पास की वस्तुओं पर फोकस नहीं कर पाती, इसे दूर या निकट दृष्टि दोष कहते हैं। पढ़ने का चश्मा इसमें मदद करता है। इसमें उत्तल लेंस लगे होते हैं, जो प्रकाश किरणों को पहले से ही अंदर की ओर मोड़ देते हैं, जिससे आँख का लेंस आसानी से रेटिना पर सही फोकस कर पाता है और पास की वस्तुएँ स्पष्ट दिखने लगती हैं।
इसी प्रकार, आवर्धक काँच (Magnifying Glass) भी उत्तल लेंस होता है। जब किसी वस्तु को इसकी फोकस दूरी से पास रखा जाता है, तो वह वस्तु हमें अपने वास्तविक आकार से बड़ी दिखाई देती है। वास्तव में वस्तु बड़ी नहीं होती, बल्कि लेंस आभासी और आवर्धित प्रतिबिंब बनाता है।
इस प्रकार पढ़ने का चश्मा हमें साफ दिखाने में और आवर्धक चश्मा वस्तुओं को बड़ा दिखाने में मदद करता है।
Q. 3 –> You may have seen some people using reading glasses. How do they help them see better? Or what happens when we use magnifying glasses to see something?
Ans. –> The lens in our eye bends light and forms an image on the retina. When the eye is unable to focus on nearby objects due to aging or vision loss, this is called farsightedness or nearsightedness. Reading glasses help with this. They contain convex lenses, which bend light rays inward, allowing the lens to easily focus on the retina and making nearby objects appear clearer.
Similarly, a magnifying glass is also a convex lens. When an object is placed closer than its focal length, it appears larger than its actual size. The object is not actually enlarged; rather, the lens creates a virtual, magnified image.
Thus, reading glasses help us see clearly, and magnifying glasses help us see larger.
प्रश्न 4 –> लंबे समय से, लोग अपने आस-पास के छोटे जीवों को जानने के लिए उत्सुक थे, लेकिन वे उन्हें अपनी नंगी आँखों से नहीं देख सकते थे। तो, आखिरकार हमने इस अदृश्य दुनिया की खोज कैसे की? क्या आप जानते हैं कि किस वैज्ञानिक खोज ने हमें पहली बार इस छोटी सी दुनिया को देखने में मदद की?
उत्तर –> 1665 में, रॉबर्ट हुक नामक एक वैज्ञानिक ने अपनी माइक्रोग्राफिया नामक पुस्तक में, उन्होंने उन छोटी-छोटी चीज़ों के विस्तृत चित्र बनाए जिन्हें लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था। ऐसी चीज़ें जिन्हें उन्होंने एक ऐसे उपकरण से देखा जिसे अब हम सूक्ष्मदर्शी कहते हैं। उनके सूक्ष्मदर्शी से चीज़ें 200 से 300 गुना बड़ी दिखाई देती थीं, जो इस उपकरण से बिना किसी सहायता के आँखों से दिखाई देती थीं।
Q. 4 –> For a long time, people have been curious about the tiny creatures around us, but they couldn't see them with their naked eyes. So, how did we finally discover this invisible world? Do you know which scientific discovery helped us see this tiny world for the first time?
Ans. –> In 1665, a scientist named Robert Hooke, in his book Micrographia, created detailed illustrations of tiny things that people had never seen before. He observed these things with an instrument we now call a microscope. His microscope made things appear 200 to 300 times larger than what was visible to the unaided eye.
प्रश्न 5 –> कोशिका क्या है और इसकी खोज किसने और किस प्रकार की ?
उत्तर –> एक दिन, रॉबर्ट हुक नामक एक वैज्ञानिक ने कॉर्क के एक पतले टुकड़े को अपनी बनाई सूक्ष्मदर्शी से देखा और पाया कि यह एक मधुमक्खी के छत्ते की तरह कई छोटे-छोटे, खाली स्थानों से बना था। उन्होंने जो देखा उसका चित्र बनाया और प्रत्येक छोटे स्थान को एक कोशिका कहा।
यह पहली बार था जब विज्ञान में जीवन की मूल इकाई का वर्णन करने के लिए कोशिका शब्द का प्रयोग किया गया था।
Q. 5 – What is a cell, and who discovered it and what types?
Ans. –> One day, a scientist named Robert Hooke looked at a thin piece of cork through a microscope he invented and discovered that it was made up of many tiny, empty spaces, like a honeycomb. He drew a picture of what he saw and called each tiny space a cell.
This was the first time the word cell was used in science to describe the basic unit of life.
प्रश्न 6 –> सूक्ष्म जीव विज्ञान का जनक किसे और क्यों कहा जाता है ?
उत्तर –> लगभग उसी समय, 1660 के दशक में, एक डच वैज्ञानिक, एंटोनी वैन लीउवेनहॉक ने और बेहतर लेंस बनाए जिससे उन्हें और अधिक उपयोगी सूक्ष्मदर्शी बनाने में मदद मिली।
इस सूक्ष्मदर्शी की मदद से वे बैक्टीरिया और रक्त कोशिकाओं जैसी छोटी जीवित चीज़ों को स्पष्ट रूप से देखने और उनका वर्णन करने वाले पहले व्यक्ति बने थे। इसी कारण उन्हें सूक्ष्म जीव विज्ञान का जनक कहा जाता है।
Q. 6 –> Who is called the father of microbiology and why?
Ans. –> Around the same time, in the 1660s, a Dutch scientist, Antonie van Leeuwenhoek, developed improved lenses that allowed him to create more useful microscopes.
With this microscope, he became the first person to clearly see and describe tiny living things like bacteria and blood cells. This is why he is called the father of microbiology.
प्रश्न 7 –> आप सोच रहे होंगे कि कोशिकाएँ वास्तव में कैसी दिखती हैं। आइए प्याज के छिलके की स्लाइड बनाकर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से कोशिका की मूल संरचना पर करीब से नज़र डालें। स्पष्ट करें।
उत्तर –>
प्याज के छिलके की स्लाइड बनाना
★ एक प्याज का बल्ब लें और उसे पानी से अच्छी तरह धो लें। अब इस प्याज के बल्ब को लंबवत टुकड़ों में काट लें।
★ प्याज का एक टुकड़ा लें और चिमटी की सहायता से उसकी भीतरी सतह से पतली, पारदर्शी परत को बाहर निकालें। इस परत को प्याज का छिलका कहते हैं।
★ अब छिलके को सैफ्रेनिन (लाल रंग का दाग) की कुछ बूंदों वाली पेट्री डिश में 30 सेकंड के लिए रखें। इससे कोशिकाओं को गुलाबी रंग मिलेगा और हमें उन्हें स्पष्ट रूप से देखने में मदद मिलेगी।
★ अब पतले ब्रश की मदद से प्याज के छिलके को पानी से भरी दूसरी पेट्री डिश में डालें ताकि छिलका धुल जाए और अतिरिक्त दाग हट जाए।
★ अब, दाग लगे प्याज के छिलके को पतले ब्रश की मदद से कांच की स्लाइड पर सावधानी से रखें, ध्यान रहे कि वह टूटे या मुड़े नहीं।
★ स्लाइड पर प्याज के छिलके के ऊपर ग्लिसरीन की एक बूंद डालें और सुई की मदद से छिलके के ऊपर धीरे-धीरे एक कवर स्लिप इस प्रकार कवर रखें कि उसमें हवा के बुलबुले न रहें। यह कवर स्लिप ग्लिसरीन कोशिकाओं को सूखने से रोकेगा और कोशिकाओं को बेहतर ढंग से देखने के लिए स्पष्टता में सुधार करेगा।
★कवर स्लिप के किनारों के आसपास के अतिरिक्त ग्लिसरीन को ब्लॉटिंग पेपर से धीरे से पोंछ लें।
★ स्लाइड को माइक्रोस्कोप या फोल्डस्कोप से देखें।
★ सूक्ष्मदर्शी से देखने पर आपको लगभग आयताकार संरचनाएँ दिखाई देंगी। ये प्याज के छिलके की कोशिकाएँ हैं, जो बिना किसी अंतराल के एक-दूसरे से सटी हुई हैं।
Q. 7 –> You might be wondering what cells actually look like. Let's take a closer look at the basic structure of a cell using a microscope by making onion peel slides. Explain.
Ans. –>
Making Onion Peel Slides
★ Take an onion bulb and wash it thoroughly with water. Now, cut this onion bulb into vertical slices.
★ Take a piece of onion and, using tweezers, peel off a thin, transparent layer from its inner surface. This layer is called onion peel.
★ Now, place the peel in a Petri dish containing a few drops of safranin (a red stain) for 30 seconds. This will color the cells pink and help us see them clearly.
★ Now, using a thin brush, transfer the onion peel to another Petri dish filled with water to rinse the peel and remove any excess stain.
★ Now, carefully place the stained onion peel on a glass slide using a thin brush, being careful not to break or bend it.
★ Place a drop of glycerin over the onion peel on the slide and, using a needle, gently place a cover slip over the peel, ensuring there are no air bubbles. This cover slip will prevent the glycerin from drying out and improve clarity for better viewing.
★ Gently wipe off any excess glycerin around the edges of the cover slip with blotting paper.
★ View the slide under a microscope or foldscope.
★ Under a microscope, you'll see roughly rectangular structures. These are onion peel cells, tightly packed together without any gaps.
प्रश्न 8 –> प्याज की स्लाइड में हमने देखा कि पादप कोशिकाएं किस प्रकार की होती हैं तो अब आप सोच रहे होंगे कि जन्तु कोशिकाएँ वास्तव में कैसी दिखती हैं। आइए मुँह की आंतरिक परत अर्थात गाल की कोशिकाएँ की स्लाइड बनाकर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से कोशिका की मूल संरचना पर करीब से नज़र डालें। स्पष्ट करें।
उत्तर –>
मुँह की आंतरिक परत अर्थात गाल की कोशिकाएँ की स्लाइड बनाना
★ साफ़ पानी से मुँह का कुल्ला करें।
★ एक साफ़ टूथपिक के कुंद सिरे से अपने गाल के अंदरूनी हिस्से को धीरे से खुरचें। खुरचकर निकाले गए इस पदार्थ को एक साफ़ काँच की स्लाइड पर पानी की एक बूँद डालकर इसे समान रूप से फैलाएँ।
★ स्लाइड पर मौजूद पदार्थ के ऊपर मेथिलीन ब्लू (एक नीले रंग का स्टेन) की एक बूँद डालें। [स्टेन डालने से कंट्रास्ट बढ़कर सूक्ष्मदर्शी के नीचे पदार्थ की दृश्यता बेहतर हो जाती है।]
★ एक मिनट बाद, कोशिकाओं को सूखने से बचाने के लिए स्लाइड पर मौजूद पदार्थ के ऊपर ग्लिसरीन की एक बूँद डालें।
★ अब, पदार्थ पर एक साफ़ कवरस्लिप सावधानी से रखें और ब्लॉटिंग पेपर का उपयोग करके कवरस्लिप के किनारों से अतिरिक्त ग्लिसरीन हटा दें।
स्लाइड को सूक्ष्मदर्शी से देखें और जो दिखाई दे उसे अपनी नोटबुक में बनाएँ।
प्रश्न 9 –> जन्तु कोशिका क्या है? इसका चित्र बनाकर वर्णन करो । कोशिका में इन संरचनाओं का क्या महत्व है? ये क्या कार्य करती हैं?
उत्तर –> सभी जीव छोटी-छोटी संरचनाओं से बने होते हैं। जिन्हें कोशिका कहा जाता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सभी पौधों और प्राणियों का शरीर कोशिकाओं से बना होता है।
इस प्रकार हमने देखा कि कोशिकाओं के तीन मुख्य भाग होते हैं - एक पतली बाहरी परत, एक केंद्रीय क्षेत्र और एक छोटी कोशिका झिल्ली।
कोशिका के बीच में स्थित गोलाकार संरचना केंद्रक है। यह कोशिका एक पतली झिल्ली से ढका होता है। जिसे कोशिका झिल्ली कहते हैं। कोशिका झिल्ली और केंद्रक के बीच के स्थान में भरा द्रव्य कोशिकाद्रव्य कहलाता है।
ये तीनों - कोशिका झिल्ली, कोशिकाद्रव्य और केंद्रक - कोशिका के मूल भाग हैं।
कोशिका झिल्ली
कोशिका एक पतली झिल्ली से ढका होता है। जिसे कोशिका झिल्ली कहते हैं। कोशिका झिल्ली, कोशिकाद्रव्य और केंद्रक को घेरे रहती है। कोशिका झिल्ली एक कोशिका को दूसरी कोशिका से अलग करती है। यह छिद्रयुक्त होती है और जीवन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक पदार्थों के प्रवेश और अपशिष्ट पदार्थों के निकास की अनुमति देती है।
कुछ कोशिकाओं, जैसे प्याज के छिलके की कोशिकाओं में, एक अतिरिक्त बाहरी परत होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं।
कोशिका भित्ति
पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के बाहर एक अतिरिक्त बाहरी परत होती है, जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं। कोशिका भित्ति पौधों को कठोरता और मजबूती प्रदान करती है। क्योंकि सभी कोशिकाएँ एक-दूसरे के साथ सघन रूप से व्यवस्थित होती हैं जिस कारण संरचना में दृढ़ दिखाई देती हैं।
कोशिकाद्रव्य
कोशिका झिल्ली और केंद्रक के बीच भरे द्रव्य को कोशिकाद्रव्य कहते हैं। कोशिकाद्रव्य में कोशिका के अन्य घटक और यौगिक होते हैं, जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और खनिज लवण। अधिकांश जीवन प्रक्रियाएँ कोशिकाद्रव्य के भीतर ही होती हैं।
केंद्रक
कोशिका के बीच में स्थित गोलाकार संरचना को केंद्रक कहते हैं। केंद्रक, कोशिका के भीतर होने वाली सभी गतिविधियों को नियंत्रित करता है। यह वृद्धि को भी नियंत्रित करता है।
Q. 9 – What is an animal cell? Draw a diagram and describe it. What is the importance of these structures in the cell? What function do they perform?
Ans. – All living organisms are made up of tiny structures called cells.
Thus, we can say that the bodies of all plants and animals are made up of cells.
Thus, we saw that cells have three main parts: a thin outer layer, a central region, and a small cell membrane.
The spherical structure located in the center of the cell is the nucleus. This cell is covered by a thin membrane called the cell membrane. The space between the cell membrane and the nucleus is filled with a liquid is called cytoplasm.
These three—the cell membrane, cytoplasm, and nucleus—are the basic parts of the cell.
Cell Membrane
The cell is covered by a thin membrane called the cell membrane. The cell membrane surrounds the cytoplasm and nucleus. The cell membrane separates one cell from another. It is porous and allows the entry of substances necessary for life processes and the exit of waste products.
Some cells, such as the cells of an onion peel, have an additional outer layer called the cell wall.
Cell Wall
Plant cells have an additional outer layer outside the cell membrane, called the cell wall. The cell wall provides rigidity and strength to plants. Because all the cells are tightly packed together, they appear rigid in structure.
Cytoplasm
The fluid between the cell membrane and the nucleus is called the cytoplasm. The cytoplasm contains other cell components and compounds, such as carbohydrates, proteins, fats, and minerals. Most life processes occur within the cytoplasm.
Nucleus
The spherical structure located in the center of the cell is called the nucleus. The nucleus controls all activities within the cell. It also regulates growth.
प्रश्न 10 –> पादप कोशिका क्या है? इसका चित्र बनाकर वर्णन करो । कोशिका में इन संरचनाओं का क्या महत्व है? ये क्या कार्य करती हैं?
उत्तर –>
कोशिका भित्ति
पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के बाहर एक अतिरिक्त बाहरी परत होती है, जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं। सभी पादप कोशिका में कोशिका भित्ति पौधों को कठोरता और मजबूती प्रदान करती है। यही कारण है कि सभी कोशिकाएँ एक-दूसरे के साथ सघन रूप से व्यवस्थित होती हैं और संरचना में दृढ़ दिखाई देती हैं।
प्लास्टिड
पौधे के सभी भागों की कोशिकाओं में छोटी छड़ के आकार की संरचनाएँ होती हैं जिन्हें प्लास्टिड कहते हैं। कुछ प्लास्टिड, जैसे क्लोरोप्लास्ट, में क्लोरोफिल होता है, जो उन्हें हरा बनाता है और प्रकाश संश्लेषण में मदद करता है। गैर-हरे भागों में, ये प्लास्टिड पदार्थों के भंडारण में मदद करते हैं।
रिक्तिका
पादप कोशिकाओं में एक बड़ा, खाली सा स्थान भी होता है जिसे रिक्तिका कहते हैं। यह पादप कोशिका को महत्वपूर्ण पदार्थों को संग्रहीत करने, अपशिष्ट पदार्थों से छुटकारा पाने और कोशिका के आकार को बनाए रखने में मदद करता है।
यह पौधे को मजबूती और सहारा देता है।
जंतु कोशिकाओं में, रिक्तिकाएँ आमतौर पर मौजूद नहीं होती हैं, यदि होती भी हैं, तो वे आमतौर पर छोटी होती हैं। ये छोटी रिक्तिकाएँ पानी में घुले कुछ पदार्थों को संग्रहित करती हैं।
अतः, कोशिका केवल तरल पदार्थ से भरी एक साधारण थैली नहीं है - यह कई अलग-अलग भागों से बनी एक जटिल संरचना है, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट कार्य है जो कोशिका और उसके परिणामस्वरूप पूरे जीव को कार्य करने में सक्षम बनाता है।
2.1.1 कोशिकाओं के आकार और संरचना में भिन्नता
मानव की पेशी कोशिका और तंत्रिका कोशिका चित्र (a) और (b) में दर्शाई गई हैं। आप उनमें क्या समानताएँ और अंतर देखते हैं?
पेशी कोशिका
एक पेशी कोशिका एक धुरी के आकार की होती है, जबकि एक तंत्रिका कोशिका बहुत लंबी होती है और उसकी शाखाएँ होती हैं।
इसी प्रकार, कुछ कोशिकाएँ गोल आकार की होती हैं, जबकि अन्य लंबी और पतली होती हैं। विभिन्न जीवों में कोशिकाओं की संख्या भी भिन्न होती है।
प्रश्न 7 –> कोशिकाएँ एक-दूसरे से इतनी भिन्न क्यों दिखती हैं? क्या कोशिका का आकार और संरचना उसके कार्य से संबंधित होती है?
उत्तर –> कोशिकाओं का विशिष्ट आकार, माप और संरचना उन्हें उनके विशिष्ट कार्य करने में मदद करती है। लेकिन ये कोशिकाएँ शरीर में विभिन्न कार्यों को करने में कैसे मदद करती हैं? आइए जानें।
★ आंतरिक गाल की कोशिकाएँ पतली और चपटी होती हैं। ये गाल की आंतरिक सतह पर एक सुरक्षात्मक परत बनाती हैं।
★ तंत्रिका कोशिकाएँ, जिन्हें न्यूरॉन्स भी कहा जाता है, हमारे शरीर में संदेश ले जाती हैं। लम्बी आकृति और शाखित संरचना उन्हें शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचने और संदेशों को शीघ्रता से पहुँचाने में मदद करती है।
★ इसी प्रकार, पादप कोशिकाएँ भी विविधता दर्शाती हैं। पौधों में भी, कोशिकाएँ आयताकार, लम्बी, अंडाकार या यहाँ तक कि नली जैसी भी हो सकती हैं। कुछ पादप कोशिकाएँ लंबी नलिकाएँ बनाती हैं जो पूरे पौधे में पानी पहुँचाने में मदद करती हैं।
हम पिछली कक्षा में पाचन तंत्र के बारे में पढ़ चुके हैं। पाचन तंत्र के विभिन्न भाग विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं।
भोजन नली में पेशी कोशिकाओं का एक समूह मौजूद होता है। ये कोशिकाएँ तरंग की तरह सिकुड़ती और सिकुड़ती हैं, जिससे भोजन नीचे पेट की ओर जाता है। यह गति इसलिए संभव है क्योंकि पेशी कोशिकाएँ पतली, लचीली और धुरी के आकार की होती हैं।
पेट में भी विभिन्न कार्यों के लिए विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं। पेट की दीवार में स्थित पेशी कोशिकाएँ भोजन को मथने में मदद करती हैं।
पेट की आंतरिक परत में स्थित अन्य कोशिकाएँ पाचक रस और अम्ल उत्पन्न करती हैं जो भोजन को तोड़ने में मदद करते हैं। ये सभी कोशिकाएँ मिलकर पाचन को संभव बनाती हैं।
प्रश्न –> जीव किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण सहित समझाओ।
जीव (Organism) वह है जो स्वयं में जीवन की क्रियाएँ करता है, जैसे सांस लेना, खाना खाना, बढ़ना, प्रजनन करना और प्रतिक्रिया देना। सरल शब्दों में, जीव वही है जो जिंदा होता है और वातावरण के अनुसार प्रतिक्रिया करता है।
जीव मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
एककोशिकीय जीव और बहुकोशिकीय जीव
एककोशिकीय जीव (Unicellular Organisms) – वे जीव जिनका शरीर केवल एक ही कोशिका से बना होता है। एककोशिकीय जीव या एककोशिय जीव कहलाता है। ये अपने जीवन की सभी क्रियाएँ अपनी एक ही कोशिका में संपन्न करता है। जैसे अमीबा, पैरामीशियम और बैक्टीरिया आदि
उदाहरण:
अमीबा (Amoeba) – अपने pseudopodia से चलता है और खाने को घेरे में लेता है।
परामेशियम (Paramecium) – झिल्ली पर लगे cilia की मदद से चलता और भोजन ग्रहण करता है।
बैक्टीरिया (Bacteria) – भोजन ग्रहण, वृद्धि और विभाजन के द्वारा जीवित रहता है।
बहुकोशिकीय जीव (Multicellular Organisms) – वे जीव जिनका शरीर बहुत सारी कोशिकाओं से बना होता है। बहुकोशिकीय जीव या बहुकोशिय जीव कहलाता है। जैसे पादपो में आम, नीम, अमरूद आदि तथा जंतुओं में कुत्ता बिल्ली, गाय, भैंस, मनुष्य आदि।
इन जीवों की कोशिकाएं शरीर के विशिष्ट कार्य करने के लिए विशिष्ट आकार, माप और संरचना में विभाजित होती हैं और शरीर में विभिन्न कार्यों को करने में कैसे मदद करती हैं।
उदाहरण:
पादप (Plant): पेड़, फूल, घास – ये कोशिकाओं के समूह से बने होते हैं।
पशु (Animal): कुत्ता, बिल्ली, मनुष्य – इनके शरीर में कोशिकाएँ विभिन्न अंगों और ऊतकों में विभाजित होती हैं।
संक्षेप में अंतर
| विशेषता |
एककोशिकीय |
बहुकोशिकीय |
| कोशिकाएँ |
1 |
कई |
| कार्य विभाजन |
नहीं |
हाँ (विशेष अंगों में) |
| आकार |
छोटा |
बड़ा |
| उदाहरण |
अमीबा, परामेशियम |
मनुष्य, पेड़ |
प्रश्न –> किसी जीव के शरीर में संगठन के स्तर क्या हैं? संगठन के ये स्तर हमें क्या समझने में मदद करते हैं ?
किसी भी जीव का शरीर जटिल तरीके से व्यवस्थित होता है। कोशिका, जीवन की मूल इकाई है, जिस प्रकार ईंट दीवार की मूल इकाई है।
समान कोशिकाओं का समूह एक प्रकार का ऊतक बनाता है। विभिन्न ऊतक मिलकर एक अंग बनाते हैं। कई अंग मिलकर एक अंग तंत्र बनाते हैं जो शरीर का एक प्रमुख कार्य करता है। सभी अंग तंत्र मिलकर एक संपूर्ण जीव बनाते हैं।
जैसे कोई पौधा या जानवर। अतः, संगठन के स्तर इस प्रकार हैं:
कोशिका => ऊतक => अंग => अंग तंत्र => जीव
संगठन के ये स्तर हमें यह समझने में मदद करते हैं कि कोशिकाओं जैसे सरल निर्माण खंड कैसे एक जटिल जीव का निर्माण करते हैं।
जटिल जीवों का जीवन एक एकल कोशिका - 'अंडे' से शुरू होता है। किसी भी जीव के अंडे में बार-बार विभाजित होकर कई कोशिकाओं से बने एक संपूर्ण जीव का निर्माण करने की अद्भुत क्षमता होती है। ऐसे जीवों को बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है। मनुष्य सहित सभी जानवर और पौधे बहुकोशिकीय जीवों के उदाहरण हैं।
सबसे बड़ा अंडा किस जीव कि होता है?
शुतुरमुर्ग के अंडे की जर्दी (अंडे का पीला भाग) एक एकल कोशिका होती है—जीवित जगत की सबसे बड़ी ज्ञात कोशिका—जिसका व्यास लगभग 130 मिमी से 170 मिमी तक होता है।
अंडे में अतिरिक्त अकोशिकीय पदार्थ भी होता है: कोशिका की सुरक्षा के लिए एक खोल और कोशिका को उसके निरंतर विकास के दौरान पोषण देने के लिए एक सफेद तरल।
✦ अभ्यास प्रश्नों के उत्तर (हिंदी में)
प्रश्न 1. नीचे कोशिका के विभिन्न भाग दिए गए हैं। इन्हें निम्नलिखित चित्र (पादप, जन्तु और जीवाणु कोशिका) में उचित स्थान पर लिखिए।
दिए गए भाग: नाभिक (Nucleus), साइटोप्लाज़्म (Cytoplasm), हरितलवक (Chloroplast), कोशिका झिल्ली (Cell membrane), कोशिका भित्ति (Cell wall), न्यूक्लॉयड (Nucleoid)।
उत्तर:
सभी कोशिकाओं में साइटोप्लाज़्म और कोशिका झिल्ली होती है। पादप कोशिकाओं में इसके अतिरिक्त कोशिका भित्ति और हरितलवक पाए जाते हैं। जीवाणु कोशिकाओं में न्यूक्लॉयड पाया जाता है, जबकि पादप और जन्तु कोशिकाओं में नाभिक होता है।
कोशिका जीवन की मूल इकाई है। सभी प्रकार की कोशिकाओं में साइटोप्लाज्म और कोशिका झिल्ली पाई जाती है। पादप कोशिकाओं की विशेषता है कि इनमें कोशिका भित्ति और हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) होते हैं, क्लोरोप्लास्ट प्रकाश संश्लेषण कर भोजन बनाते हैं। केवल जन्तु एवं पादप कोशिकाओं (यूकेरियोटिक) में नाभिक पाया जाता है, जो कोशिका का नियंत्रण केंद्र है। जबकि जीवाणु कोशिकाओं (प्रोकैरियोटिक) में संगठित नाभिक न होकर न्यूक्लॉयड होता है। इस प्रकार यह विभाजन दर्शाता है कि किस प्रकार विभिन्न जीवों की कोशिकाओं में समानता भी है और विशिष्ट भिन्नताएँ भी। यह अध्ययन हमें कोशिका की संरचना और उसके कार्यों को समझने में सहायक होता है।
प्रश्न 2. आनंदी ने दो टेस्ट ट्यूब लिए – A और B। दोनों में शक्कर का घोल था। टेस्ट ट्यूब A में केवल शक्कर घोल और B में शक्कर घोल के साथ यीस्ट डाला गया। दोनों को गुब्बारे से बाँधकर गर्म स्थान पर रख दिया गया।
(i) 3–4 दिन बाद गुब्बारा B फूल गया, क्यों?
(ii) गुब्बारे की गैस को चुना पानी से पास करने पर वह दूधिया हो गया, क्यों? आनंदी यह क्यों करना चाहती थी?
उत्तर:
(i) टेस्ट ट्यूब B में यीस्ट ने शक्कर का किण्वन करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न की। गैस ने गुब्बारे को भरकर फुला दिया।
(ii) जब गुब्बारे की गैस को चुना पानी से पास किया गया, तो वह दूधिया हो गया, जिससे सिद्ध हुआ कि गैस कार्बन डाइऑक्साइड थी। आनंदी यह जानना चाहती थी कि गुब्बारे में कौन-सी गैस बनी है।
आनंदी का यह प्रयोग दिखाता है कि जीवित सूक्ष्मजीव शर्करा को ऊर्जा के लिए तोड़ते हैं और उप-उत्पाद के रूप में गैस बनाते हैं। यही सिद्धांत ब्रेड, दही और मदिरा निर्माण में भी प्रयोग होता है।
प्रश्न 3. किसान ने गेहूँ की फसल में नाइट्रोजन उर्वरक डाला। उसका पड़ोसी बीन्स उगाता है और उसने नाइट्रोजन उर्वरक नहीं डाला। ऐसा क्यों?
उत्तर:
गेहूँ जैसी फसलों को नाइट्रोजन बाहर से चाहिए इसलिए किसान ने गेहूँ की फसल की अधिक उपज पाने के लिए नाइट्रोजन युक्त उर्वरक डाला।
लेकिन बीन्स जैसे दलहनी पौधों की जड़ों में राइजोबियम बैक्टीरिया रहते हैं, जो वायुमंडल की नाइट्रोजन को स्थिर करके पौधों को उपलब्ध कराते हैं। इसीलिए बीन्स को अतिरिक्त नाइट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती।
दालें या बींस बोने से प्राकृतिक रूप से भूमि की उर्वरता बनी रहती है और नाइट्रोजन युक्त उर्वरक अर्थात रासायनिक खाद की खपत घटती है।
प्रश्न 4. स्नेहल ने दो गड्ढे बनाए – A और B। गड्ढा A: फल-सब्ज़ी का कचरा + सूखी पत्तियाँ + मिट्टी से ढका। गड्ढा B: केवल कचरा + मिट्टी से ढका। तीन हफ्ते बाद उसने अंतर देखा। स्नेहल क्या जाँचना चाहती थी?
उत्तर:
स्नेहल यह जाँचना चाहती थी कि जब कचरे में सूखी पत्तियाँ और मिट्टी मिलाई जाती हैं, तो विघटन तेजी से होता है और अच्छी खाद (कम्पोस्ट) बनती है। केवल कचरे से खाद धीरे-धीरे बनती है।
स्नेहल ने दो गड्ढे खोदे। पहले गड्ढे A में उसने फल-सब्ज़ी के छिलकों को सूखी पत्तियों के साथ मिलाकर मिट्टी से ढक दिया, जबकि गड्ढे B में केवल कचरा डालकर ढक दिया। तीन सप्ताह बाद उसने देखा सूखी पत्तियाँ और उचित मिश्रण से सड़ी-गली सामग्री जल्दी और अच्छे ढंग से खाद (कम्पोस्ट) में बदलती है, जबकि बिना मिश्रण के कचरा सड़ने में अधिक समय लेता है और केवल कचरे से खाद धीरे-धीरे बनती है।
यह प्रयोग कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया को समझने में सहायक है।
प्रश्न 5. नीचे दिए गए जीवाणु/सूक्ष्मजीवों के नाम लिखिए:
(i) मैं हर प्रकार के वातावरण में रहता हूँ और तुम्हारी आँतों में भी।
(ii) मैं ब्रेड और केक को मुलायम व फूला बनाता हूँ।
(iii) मैं दलहनी पौधों की जड़ों में रहता हूँ और उन्हें पोषण देता हूँ।
उत्तर:
(i) जो जीव हर प्रकार के वातावरण तथा हमारे शरीर में भी रहते हैं, वे बैक्टीरिया हैं (जैसे E. coli)।
(ii) जो ब्रेड और केक को नरम व फूला बनाते हैं, वे यीस्ट हैं।
(iii) जो दलहनी पौधों की जड़ों में रहकर उन्हें पोषक तत्व देते हैं, वे राइजोबियम जीवाणु हैं।
ये सूक्ष्मजीव प्रकृति में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 6. आपको यह सिद्ध करने के लिए एक प्रयोग बताना है कि सूक्ष्मजीवों को वृद्धि के लिए तापमान, वायु और नमी की आवश्यकता होती है।
उत्तर:
सूक्ष्मजीवों के विकास हेतु उचित तापमान, वायु और नमी की आवश्यकता होती है। इसको सिद्ध करने हेतु हम चार टेस्ट ट्यूबों में शर्करा घोल रखते हैं। पहली को गर्म एवं खुला वातावरण देंगे, दूसरी को गर्म लेकिन ढका हुआ, तीसरी को ठंडी स्थिति, और चौथी को सूखा वातावरण देंगे। और कुछ दिनों के लिए ऐसे ही छोड़ देंगे। कुछ दिनों बाद हमने पाया कि
- गर्म और खुला → सूक्ष्मजीव अधिक बढ़ें।
- गर्म और ढका हुआ → कम बढ़ें।
- ठंडी स्थिति → ओर कम बढ़ें।
- सूखी स्थिति → नहीं बढ़ें।
इससे सिद्ध होता है कि सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के लिए उपयुक्त तापमान, नमी और हवा आवश्यक हैं।
प्रश्न 7. दो ब्रेड स्लाइस लेकर एक को सिंक के पास और दूसरे को फ्रिज में रखिए। तीन दिन बाद क्या होगा और क्यों?
उत्तर:
सिंक के पास रखी ब्रेड पर नमी और सामान्य तापमान के कारण फफूँद (फंगस) उग जाएगी। जबकि फ्रिज में रखी ब्रेड पर ठंडे वातावरण के कारण फफूँद नहीं उगेगी या बहुत धीरे उगेगी। इससे सिद्ध होता है कि सूक्ष्मजीव ठंडे स्थान पर बहुत धीमी गति से पनपते हैं। यह प्रयोग दर्शाता है कि वातावरण का प्रभाव सूक्ष्मजीवों की वृद्धि पर पड़ता है।
प्रश्न 8. दही को यदि एक दिन बाहर छोड़ दें तो वह अधिक खट्टा हो जाता है। क्यों?
उत्तर:
दही में लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया होते हैं जो दूध की शर्करा (लैक्टोज़) को लैक्टिक अम्ल में बदलते हैं। लैक्टिक अम्ल, अम्ल होने के कारण स्वाद में खट्टा होता है।
हम कह सकते हैं कि यदि दही बाहर रखा जाता है, तो गर्म वातावरण में बैक्टीरिया ज्यादा सक्रिय होकर अधिक अम्ल बना देते हैं। इसी कारण दही खट्टा हो जाता है।
प्रश्न 9. चित्र 2.15 (यीस्ट और शक्कर घोल वाला प्रयोग) के आधार पर उत्तर दीजिए:
(i) फ्लास्क A में क्या होगा?
(ii) टेस्ट ट्यूब B में क्या होगा?
(iii) यदि यीस्ट न डाला जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
(i) फ्लास्क A में यीस्ट शक्कर का किण्वन कर कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनाएगा।
(ii) यह गैस टेस्ट ट्यूब B के चूना पानी को दूधिया बना देगी।
(iii) यदि यीस्ट न डाला जाए तो कोई गैस नहीं बनेगी और चूना पानी साफ रहेगा।
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खोजें, डिजाइन करें और बहस करें
Discover, Design and Debate
1. भारत में बायोगैस उत्पादन का लंबा इतिहास है। हमारे सबसे पुराने बायोगैस प्लांट में से एक 1850 के दशक के अंत में स्थापित किया गया था। जानें कि नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए बायोगैस प्रोग्राम के बारे में।
👉 बच्चों को समझाएं कि
बायोगैस प्लांट एक तरह का बड़ा ढक्कनदार गड्ढा होता है जिसमें गोबर और पानी मिलाकर डाला जाता है। वहाँ सूक्ष्मजीव उन्हें तोड़ते हैं और गैस बनती है, जिसे पाइप से चूल्हे तक ले जाया जाता है।
🌱 1. भारत में बायोगैस प्रोग्राम (Biogas Programme)
- इतिहास: भारत में बायोगैस उत्पादन की परंपरा बहुत पुरानी है। सबसे पहला बायोगैस प्लांट 1859 में कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में लगाया गया था।
- बायोगैस क्या है?
बायोगैस गोबर, रसोई का कचरा, गन्ने का रस, पत्तियाँ या किसी भी जैविक पदार्थ के सड़ने-गलने से बनने वाली गैस है। इसमें मुख्यतः मीथेन गैस (CH₄) होती है।
- उपयोग:
- खाना बनाने में ईंधन के रूप में
- बिजली बनाने में
- गोबर से बनी खाद खेती के लिए
- सरकारी योजना:
भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने “राष्ट्रीय बायोगैस एवं जैविक खाद प्रबंधन कार्यक्रम (National Biogas and Manure Management Programme – NBMMP)” चलाया। इसका मकसद है गाँव-गाँव में बायोगैस प्लांट लगाकर स्वच्छ ऊर्जा, स्वास्थ्य और खाद उपलब्ध कराना।
2. कुछ भागों में पारंपरिक भोजन के रूप में किण्वित (फर्मेंटेड) खाद्य पदार्थ जैसे किण्वित सोयाबीन और किण्वित बांस की कलियाँ खाई जाती हैं। अपने माता-पिता और शिक्षकों की मदद से, अपने क्षेत्र में प्रयुक्त कुछ पारंपरिक किण्वित खाद्य पदार्थों की सूची बनाएं। इन खाद्य पदार्थों को बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, तैयारी की विधि, किण्वन के लिए जिम्मेदार सूक्ष्मजीव, और इन खाद्य पदार्थों का सांस्कृतिक और पोषण संबंधी महत्व जानें।
🍲 2. किण्वित (Fermented) खाद्य पदार्थ
भारत में बहुत से पारंपरिक भोजन किण्वन (Fermentation) की प्रक्रिया से तैयार होते हैं। इसमें सूक्ष्मजीव (जैसे यीस्ट, लैक्टोबैसिलस, फंगस आदि) भोजन को बदलकर स्वादिष्ट और पौष्टिक बना देते हैं।
उदाहरण (क्षेत्र के अनुसार):
- उत्तर भारत: दही, इडली, डोसा का घोल
- पूर्वोत्तर भारत:
- Fermented Soybeans (नगालैंड, मणिपुर)
- Fermented Bamboo Shoots (अरुणाचल, मणिपुर, असम)
- दक्षिण भारत:
- डोसा, इडली (चावल और उड़द दाल का घोल, जिसमें लैक्टोबैसिलस और यीस्ट मिलकर किण्वन करते हैं)
- उत्तराखंड/हिमालयी क्षेत्र: गहठ और भट्ट की दाल का विशेष किण्वित रूप
- पंजाब: लस्सी और दही
👉 महत्व:
- स्वाद बढ़ता है
- भोजन जल्दी पचता है
- विटामिन B और C बढ़ जाते हैं
- ये स्थानीय संस्कृति और परंपरा से जुड़े हैं
3. एक आवर्धक काँच और सूक्ष्मदर्शी / फोल्डस्कोप की मदद से मशरूम (मैक्रो फंगस) के विभिन्न भागों का अध्ययन करें। वरिष्ठ कक्षाओं के छात्रों की मदद लें और अपने स्कूल के प्रयोगशाला में सूक्ष्मदर्शी / फोल्डस्कोप के माध्यम से मशरूम के विभिन्न भागों की आंतरिक संरचना का पता लगाएं।
🍄 3. मशरूम (Mushroom) का अध्ययन
मशरूम एक प्रकार का फंगस (कवक) है। यह पौधा नहीं है क्योंकि इसमें हरितलवक (chlorophyll) नहीं होता और यह प्रकाश संश्लेषण नहीं करता।
मशरूम के भाग:
- कैप (Cap): ऊपरी छतरी जैसा हिस्सा
- गिल्स (Gills): कैप के नीचे की पतली परतें, जहाँ बीजाणु (spores) बनते हैं
- स्टेम (Stipe): तना जैसा हिस्सा
- रूट-लाइक स्ट्रक्चर (Mycelium): मिट्टी में फैले हुए तंतु
👉 Foldscope/माइक्रोस्कोप से देखने पर:
- गिल्स के बीच में बीजाणु (spores) दिखेंगे।
- स्टेम के अंदर रेशेदार संरचना होगी।
4. मशरूम किसी उद्यमी से बातचीत करें और मशरूम की खेती के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानें।
👨🌾 4. मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) – उद्यमी से सीखना
मशरूम की खेती आजकल बहुत लोकप्रिय है क्योंकि इसमें कम समय और कम जगह में अच्छा लाभ मिलता है।
मुख्य चरण:
- स्थान चुनना: ठंडी और साफ जगह चाहिए।
- बिस्तर (Bed) बनाना: भूसे (straw) या विशेष कम्पोस्ट का प्रयोग होता है।
- स्पॉन (Spawn) डालना: यह बीज की तरह होता है, जिसे भूसे में मिलाया जाता है।
- नमी और तापमान नियंत्रण: लगभग 20–25°C तापमान और पर्याप्त नमी रखी जाती है।
- विकास: 2–3 हफ्तों में सफेद-सफेद मशरूम निकल आते हैं।
- तोड़ाई (Harvesting): तैयार मशरूम को सावधानी से तोड़ा जाता है और बाजार में बेचा जाता है।
👉 मशरूम खाने में स्वादिष्ट, प्रोटीन से भरपूर और सेहत के लिए बहुत लाभकारी है।
✦ निष्कर्ष (7th class level समझ)
- बायोगैस से गाँवों को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा मिलती है।
- किण्वित भोजन स्वादिष्ट, पौष्टिक और संस्कृति का हिस्सा है।
- मशरूम एक खास प्रकार का कवक है, जिसका अध्ययन मजेदार है और इसकी खेती से रोजगार भी मिलता है।
क्या आप चाहेंगे कि मैं इसे एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट/असाइनमेंट फॉर्मेट (शीर्षक, चित्र सुझाव, तालिका) में भी बना दूँ, ताकि बच्चा स्कूल में जमा कर सके?
यहाँ आपके द्वारा दिए गए पाठ का हिंदी अनुवाद है:
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भारत में बायोगैस उत्पादन का लंबा इतिहास है। हमारे सबसे पुराने बायोगैस प्लांट में से एक 1850 के दशक के अंत में स्थापित किया गया था। जानें कि नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए बायोगैस प्रोग्राम के बारे में।
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कुछ भागों में पारंपरिक भोजन के रूप में किण्वित (फर्मेंटेड) खाद्य पदार्थ जैसे किण्वित सोयाबीन और किण्वित बांस की कलियाँ खाई जाती हैं। अपने माता-पिता और शिक्षकों की मदद से, अपने क्षेत्र में प्रयुक्त कुछ पारंपरिक किण्वित खाद्य पदार्थों की सूची बनाएं। इन खाद्य पदार्थों को बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, तैयारी की विधि, किण्वन के लिए जिम्मेदार सूक्ष्मजीव, और इन खाद्य पदार्थों का सांस्कृतिक और पोषण संबंधी महत्व जानें।
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एक आवर्धक काँच और सूक्ष्मदर्शी / फोल्डस्कोप की मदद से मशरूम (मैक्रो फंगस) के विभिन्न भागों का अध्ययन करें। वरिष्ठ कक्षाओं के छात्रों की मदद लें और अपने स्कूल के प्रयोगशाला में सूक्ष्मदर्शी / फोल्डस्कोप के माध्यम से मशरूम के विभिन्न भागों की आंतरिक संरचना का पता लगाएं।
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किसी उद्यमी से बातचीत करें और मशरूम की खेती के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानें।
यदि आप चाहो तो मैं इसे छात्रों के लिए आसान और संक्षिप्त निर्देशों में भी रूपांतरित कर सकता हूँ ताकि स्कूल असाइनमेंट या प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
क्या मैं ऐसा कर दूँ?
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